| ملوك خانم چنين گفت |
| با فاطمه درازه |
| آخ چه كنم عروسم |
| زشت و بى جهازه |
| شبانه روز تو خونه |
| بباد و فيس و نازه |
| همره خود ز جازى |
| يك جانماز نداره |
| عروسى كه جاز نداره |
| اين همه ناز نداره |
| هر چه ميگم عروس جان |
| ناز عروس به جازه |
| حياى گربه چون شد |
| كه درب ديزى بازه |
| عقل نداره اصلا |
| چونكه دراز نداره |
| عروسى كه جازه نداره |
| اين همه ناز نداره |
| با ناخن بلندش |
| پنجه بمن كشيده |
| بسكه مرا كتك زد |
| پير هنم دريده |
| ترس نداره از كس |
| دختر ورپريده |
| ناخن دراز او را |
| گرگ و گراز نداره |
| عروسى كه جاز نداره |
| اين همه ناز نداره |
| تمام شب خوراكش |
| مرغ و چلو فسنجان |
| خوراك هر شب او |
| بود برنج لنجان |
| مار دو سر عروس |
| به گفته بگم جان |
| جاريه همره خود |
| قد دو ناز نداره |
| عروسى كه جاز نداره |
| اين هم ناز نداره |
| هر چه كه بود تو خانه |
| همراه خود تو بردى |
| بردى زخانه من |
| جاى دگر سپردى |
| كاشكى كه حالا ديگر |
| ميلى به ساز ميمردى |
| خارسو (159) زدست تو زن |
| ميلى به ساز ندار |
| عروسى كه جاز نداره |
| اين همه ناز نداره |
بیاد امام زمان مظلوم و غریبم اَللّهُمَّ عَجِّل لِوَلیِّکَ الفَرَج

